सागर.संगीत विभाग,डा.हरीसिंह गौर वि.वि में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का प्रारंभ हुआ.संगोष्ठी का प्रारंभ वैदिक गान एवं सरस्वती वंदना से हुआ तत्पश्चात सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। उद्धाटन सत्र में डॉ अवधेश प्रताप सिंह तोमर ने संगोष्ठी के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डाला,तत्पश्चात संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं विश्वविधालय की कुलगुरु प्रो.नीलिमा गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा में संगीत के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि वैदिक संगीत और ध्वनि विज्ञान से प्रेरणा पाकर आज गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए संगीत रचा जा रहा है जैसे कि पहले गर्भ चिन्तामणियों को गाया जाता था। राजा मान सिंह तोमर विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलगुरु डॉ स्मिता सहस्रबुद्धे ने अपना बीज वक्तव्य दिया, एम एस यू बड़ोदा से पधारे डा.राजेश केलकर ने भारतीय संगीत के ग्रंथों के महत्व पर प्रकाश डाला, संगीत विभाग के अध्यक्ष प्रो० अशोक अहिरवार ने संगीत को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से जोड़कर सभा को संबोधित किया। सत्र के अंत में डॉ राहुल स्वर्णकार ने सभी विद्वानों का आभार प्रदर्शित किया सत्र का संचालन अनुकृति रावत और मानवी श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रोफेसर स्मिता सहस्रबुद्धे ने व्याख्यान सह प्रदर्शन किया। अपने व्याख्यान में उन्होने राग के अनेको गुणों का बखान किया। उन्होने इतने सीमित समय में अनेक रागों को स्पष्ट किया।
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