सागर।लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती के अवसर पर भाजपा द्वारा आयोजित 10 दिवसीय कार्यक्रमों के अंतर्गत गुरुवार को विद्यार्थी संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में सांसद लता वानखेड़े, जिला अध्यक्ष श्याम तिवारी,10 दिवसीय कार्यक्रम समिति जिला संयोजक सुखदेव मिश्रा,कार्यक्रम प्रभारी आलोक केशरवानी जिला महामंत्री अमित कछवाहा, जिला मंत्री सुषमा यादव, जिला कोषाध्यक्ष निकेश गुप्ता मुख्यरूप से शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुईं कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के प्रेरक जीवन यात्रा से संबंधित जिज्ञासा प्रस्तुत की जिनका समाधान सांसद लता वानखेड़े ने किया कार्यक्रम के दौरान कई बार सभागार लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी के जयकारों से गुंजायमान हुआ कार्यक्रम की विषय प्रस्तावना 10 दिवसीय कार्यक्रम समिति जिला संयोजक सुखदेव मिश्रा ने प्रस्तुत की कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष श्याम तिवारी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था रानी अहिल्याबाई को उनके 30 वर्षों के सुशासन न्यायप्रियता,सामाजिक समरसता, धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के कार्यों के लिए जाना जाता है वे काशी विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ मंदिर तक देशभर के लगभग 10,000 मंदिरों के जीर्णोद्धार की प्रेरणास्रोत रही हैं रानी अहिल्याबाई का मानना था कि एक आदर्श शासक वही है जो धर्म, जाति और वर्ग से ऊपर उठकर जनसेवा करे सांसद लता वानखेड़े ने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने पूरा जीवन राष्ट्र को अर्पित किया लोकमाता अहिल्या देवी का सामाजिक योगदान उनकी न्यायप्रियता और धर्म परायणता श्रेष्ठ थी। अहिल्या बाई ने घर पर ही शिक्षा और युद्धकला सीखी खंडेराव होलकर से उनका विवाह हुआ और 12 साल में इंदौर की महारानी बन गईं अपने पति की मृत्यु के बाद वह सती नहीं हुई बल्कि उन्होंने 15 सालों तक शासन संभाला वह प्रधान सेनापति भी रहीं कुछ समय बाद उनकी राजधानी महेश्वर में स्थानांतरित की गई समाज में समरसता लाने के लिए उन्होंने जाति-धर्म का भेद मिटा दिया उन्होंने 250 साल पहले ही महिलाओं के विकास के लिए काम किया उन्होंने महिलाओं के लिए कानून बनाया, दत्तक प्रथा की शुरुआत की इसके अलावा पुनर्विवाह के लिए भी प्रेरित किया उनका प्रबंधन उच्च कोटि का था सोमनाथ द्वारका देव प्रयाग का अन्न भंडार आज भी चल रहा है जो उनकी देन है उनके राज्य में 28 साल में कभी सूखा नहीं पड़ा क्योंकि वे पौधे लगवाती थीं, नदी-तालाब का संरक्षण करती थीं अपने परिवार और प्रजा में उन्होंने कोई भेदभाव नहीं किया गोचर भूमि चारागाह बनाए किसानों को अपनी फसल का एक भाग पशुओं के लिए छोड़ने का आदेश दिया उनके कार्य सभी को प्रेरित करते हैं
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