विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के विद्यार्थियों ने किया नाटक ‘महारथी’ का मंचन

डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय स्वर्ण जयन्ती सभागार में नाट्यकला के विद्यार्थियों ने नाटक महारथी का मंचन किया.यह केवल एक नाट्य प्रस्तुति ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में रूपांतरित हो गई.नाटक के निर्देशक डॉ.नीरज उपाध्याय ने बताया कि महारथी कोई साधारण नाट्य प्रस्तुति नहीं है यह भारतीय लोक-संस्कृति, संवेदना और सामाजिक चेतना की मंचीय अनुगूँज है. छात्रों की यह प्रस्तुति लोक और शास्त्र के बीच एक ऐसा सेतु रचती है जहाँ भाषा प्रतीक बन जाती है देह अर्थ बन जाती है और मंच एक विचार क्षेत्र यह नाटक महाभारत के चरित्रों में समकालीन समाज की गूँज सुनाने का साहस करता है नाटक महारथी का भावनात्मक शिखर बिंदु हैं यह प्रस्तुति महाभारत के सबसे उपेक्षित लेकिन सबसे तेजस्वी पात्र कर्ण के बहाने हमारे समय की सामाजिक नैतिक और वैचारिक गुत्थियों का रचनात्मक विश्लेषण है यह एक ऐसा रंगनाट्य है जो मिथक को सिर्फ दोहराता नहीं, बल्कि आधुनिक चेतना के साथ पुनर्परिभाषित करता है विभांशु वैभव द्वारा रचित यह नाटक ‘कर्ण’ की कथा को मानवतावादी दृष्टिकोण से देखता है जहाँ जन्म नहीं बल्कि कर्म और निष्ठा के आधार पर व्यक्ति की पहचान गढ़ी जाती है विश्वजीत डेहरिया ने कर्ण की भूमिका में आंतरिक द्वंद्व, त्याग, निष्ठा और अभिशप्त गरिमा को सजीव कर दिया उनकी संवाद अदायगी और शारीरिक भाषा में आत्मानुभूति स्पष्ट दिखाई दी देववृष अहिरवार ने कृष्ण की भूमिका में संयम और राजनीति का द्वैत प्रस्तुत किया दीपेंद्र सिंह लोधी दुर्योधन प्रिया गोस्वामी कुंती सिया चौबे द्रौपदी सहित पचास से अधिक विद्यार्थी कलाकारों ने गहरे अभ्यास और चरित्र की समझ का परिचय दिया सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक और नाट्य मंचन के मार्गदर्शक डॉ.राकेश सोनी ने कहा कि छात्रों की यह प्रस्तुति महज एक पाठ्यक्रमीय अभ्यास नहीं बल्कि एक सार्थक रंग-संवाद है समाज व्यक्ति और मिथक के बीच विद्यार्थियों और शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों ने 'महारथी' को एक विचारोत्तेजक और संवेदनशील नाट्य प्रस्तुति बना दिया है "महारथी" की प्रस्तुति डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के रंगमंच विभाग के विद्यार्थियों के लिए केवल एक शैक्षणिक प्रोजेक्ट नहीं है यह उनकी कला विचारशीलता और सामाजिक सरोकारों की परिपक्व अभिव्यक्ति है. छात्रों ने यह सिद्ध कर दिया कि वे न केवल मंच के महारथी हैं बल्कि समाज से संवाद करने वाले सच्चे कलाकार भी हैं और भविष्य में वे देशभर में डॉ.गौरऔर उनके विश्वविद्यालय का नाम गौरव से ऊँचा करेंगे।

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