सागर.डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के अभिमंच सभागार में चल रहे धर्मपाल स्मृति द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी जो धर्मपाल शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय संस्कृ्ति विभाग भोपाल द्वारा प्रायोजित था उसके विभिन्न तकनीकी सत्रों में अनेक विषयों पर आमंत्रित विद्वानों ने अपने वक्तव्य दिये. इनमें प्रमुख थे प्रो.नन्द किशोर आचार्य, प्रो.विजय बहादुर सिंह,कुमार प्रशांत,रघु ठाकुर,मनोज कुमार श्रीवास्तव,प्रो.कन्हैया त्रिपाठी,प्रो.सत्य केतु सांकृत,प्रो.ए.पी. मिश्रा,प्रो.बी.के.श्रीवास्तव,डॉ.मिथलेश शरण चौबे व डॉ.मिथलेश कुमार आदि.
समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर ने कहा कि जब हम महात्मा गांधी को याद करते हैं और किसी अच्छे विषय पर,विशेषकर स्वराज पर चर्चा करते हैं तो हमें उनकी प्रसिद्ध पुस्तक हिंद स्वराज याद आती है. यह पुस्तक संभवत दुनिया की सबसे छोटी लेकिन अत्यंत प्रभावशाली पुस्तकों में से एक है.इसमें गांधीजी ने अपने अनुभवों को संवाद के रूप में प्रस्तुत किया है गांधीजी ने बताया कि अगर हम समय की सही समझ नहीं रखते तो स्वराज संभव नहीं है उन्होंने यह भी कहा कि केवल अंग्रेजों के हटने से स्वराज नहीं मिलेगा बल्कि हमें अंग्रेजियत अर्थात उनकी सोच और जीवनशैली को भी छोड़ना होगा. गांधीजी ने अपने विचारों में बदलाव लाते हुए यह भी माना कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति ही हमारे संविधान में स्वराज की सच्ची परिभाषा हो सकती है संगोष्ठी में विश्वाविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक व शोधार्थियों के साथ-साथ सागर संभाग के विभिन्न संदीपनी विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय एवं अन्य विद्यालय तथा महाविद्यालय और डायट से प्रधानाचार्य उप-प्रधानाचार्य, मास्टर ट्रेनर्स,अध्यापक व विद्यार्थी शामिल हुए.इस संगोष्ठी में लगभग 400 लोगों ने अपनी सक्रिय सहभागिता की.
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