मातृभाषा हमारे रक्त की भाषा है- प्रो.आनंदप्रकाश त्रिपाठी

दिनांक 21 फरवरी 2025 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आचार्य नंददुलारे वाजपेई सभागार में हिंदी विभाग और राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा 'मातृभाषा: सांस्कृतिक पहचान एवं ऐतिहासिक महत्व' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और डॉ गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई ।प्रो.राजेन्द्र यादव ने  स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने भाषा के महत्व और उसकी उपयोगिता को लक्षित करते हुए अपने विचार सभी से साझा किए।विषय प्रवर्तन डॉ.संजय नाइनवाड ने किया।कार्यक्रम में गरिमा यादव, कंचन सोनी, तनु झा, अंकित सिंह, अभय सिंह, दीपाली, आशीष, गोलू सेन इत्यादि विद्यार्थियों ने भी अपनी अपनी मातृभाषाओं जैसे कि अवधी ,बुंदेली,भोजपुरी, बघेली,मैथिली तथा बंगाली में गायन ,हास्य गीत एवं भाषण प्रस्तुत किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने विभाग में बुंदेली पीठ और ईसुरी पत्रिका द्वारा हो रहे कार्यों पर  ध्यान आकर्षित किया और उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा पर हमें गर्व करना चाहिए क्योंकि मातृभाषा हमारे रक्त की भाषा है।मातृभाषा मनुष्य की सहज अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम है।

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