विश्वविद्यालय: दो दिवसीय सांगीतिक सभा नाद रंग सुर ताल संग का शुभारंभ

सागर.डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय सांगीतिक सभा "नाद रंग सुर ताल संग" के प्रथम दिवस का शुभारंभ प्रो.नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में किया गया.उन्होंने दोनों संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से संगीत सम्बंधित नए पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का सुझाव दिया.कार्यक्रम के अध्यक्ष देवेंद्र वर्मा ने इस संगोष्ठी का उद्देश्य बताते हुए कहा कि कला और संस्कृति को घर-घर तक पहुंचाएंगे.अवसर पर प्राचीन कला केंद्र सचिव प्रो.सजल कौशल ने प्राचीन कला केंद्र के द्वारा किये रहे प्रचार प्रसार पर प्रकाश डाला,डॉ राहुल स्वर्णकार व डॉ अवधेश प्रताप सिंह तोमर ने सभी का आभार माना.कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति में ग्वालियर घराने से पधारे विशाल मोघे (अरुण कशालकर जी के शिष्य) ने राग भीमपलासी में तीन रचनाएं प्रस्तुत की एवं राग खमाज में टप्पा और तराना प्रस्तुत किया. हारमोनियम पर डॉ देवेंद्र वर्मा एवं तबले पर शैलेंद्र सिंह राजपूत ने संगत की. तत्पश्चात खैरागढ़ विश्वविद्यालय से पधारे दीपक महंत (मुकुंद भाले गुरु जी के शिष्य) ने तबला एकल वादन प्रस्तुत किया. हारमोनियम पर उनकी संगत आशुतोष सोनी ने की.प्रथम दिवस की सभा की अंतिम प्रस्तुति में मुंबई से पधारे पंडित कैलाश पात्र ने वाइलिन पर राग श्री में विलंबित व द्रुत बंदिश प्रस्तुत की अंत राम मालव प्रस्तुत की.तबले पर दीपक दास महंत ने संगत की इस अवसर पर संगीत विभाग अध्यक्ष प्रो. अशोक अहिरवार, डीन प्रो.बलवंत भदोरिया,डॉ विभूति मलिक, डॉ अविनाश देशाई, श्रंगिरिशी, डॉ प्रेम चतुर्वेदी डॉ शांभवी शुक्ला, डॉ ब्रजेश मिश्र, शिद्धार्थ शंकर शुक्ला, सुनील देव, विनीत देव,बसंत कहु, डॉ हरिओम सोनी,डॉ अपर्णा चचोंदिया व शहर के संगीत प्रेमी उपस्थित रहे.

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