डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में आयोजित की गई पांच दिवसीय कार्यशाला

आचार्य सर प्रफुल्ल चंद्र रे की स्मृति में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में हाई रेजोल्यूशन माइक्रोस्कोपी पर पांच दिवसीय कार्यशाला एवं फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम दिनांक 20 अगस्त  से 24 अगस्त के मध्य आयोजित किया गया। जिसमें देश भर के 45 प्रतिभागीयों ने भाग लिया। जैसा कि विदित है की डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में कई अत्यधिक परिष्कृत उपकरण है जिनकी ट्रेनिंग नई पीढ़ी के लिए अत्यावश्यक है। इसी आवश्यकता को देखते हुए कुलगुरु प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता की पहल पर विश्वविद्यालय अलग-अलग उपकरणों पर कार्यशाला आयोजित कर रहा है। इसी तारतम्य में पहली कार्यशाला हाई रेजोल्यूशन माइक्रोस्कोपी पर आयोजित की गई है। पहले दिन विश्वविद्यालय की कुलगुरु एवं इनॉग्रेशन सेशन की अध्यक्ष प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने विश्वविद्यालय में उपस्थित विशिष्ट उपकरणों को मध्य भारत में एक धरोहर की तरह प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इन उपकरणों की मदद से विवि में हो रहे शोध नई ऊंचाई पा रहे हैं इंडियन जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व निदेशक डॉक्टर कैलाश चंद्र ने लुप्त होती प्रजातियों के बारे में बड़ा सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि आज माइक्रोस्कोपिक के युग में प्रजातियों को खोजना आसान हो गया है।  कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर एसपी गौतमजी ने भारतीय ज्ञान परंपरा और उसमे वर्णित परमाणु, अणु, इलेक्ट्रॉन और फोटोन की शक्तियों के लिए हाई रेजोल्यूशन माइक्रोस्कॉपी को ज्ञान एवं कर्म चक्षु से बड़े रोचक अंदाज में  जोड़ा। सेशन का अंतिम वक्तव्य डॉ पुष्पल घोष जी ने दिया, जिसमें भारतीय विज्ञान परंपरा के विकास का वर्णन किया गया।

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